राजस्थान में चार स्थानों पर संघ शिक्षा वर्ग प्रारंभ, 20 दिन तक लेंगे संघ के स्वयंसेवक प्रशिक्षण

जयपुर, 20 मई, 2022.

देशभर के 108 स्थानों पर राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के संघ शिक्षा वर्ग प्रारंभ हो रहे हैं। इन वर्गों में विभिन्न आयु वर्ग के संघ के स्वयंसेवक 20 दिनों तक प्रशिक्षण लेंगे। इसी कड़ी में उत्तर- पश्चिम क्षेत्र (राजस्थान) में चार स्थानों पर गुरुवार से संघ शिक्षा वर्ग प्रारंभ हुए हैं। बीकानेर में द्वितीय वर्ष (सामान्य), झुंझुनूं में प्रथम वर्ष (सामान्य) तरुण व्यवसायी व महाविद्यालय विद्यार्थियों के लिए और जयपुर के जामाड़ोली में प्रथम वर्ष (विशेष) शुरू हुआ है। इसी प्रकार विद्यालयीन विद्यार्थियों के लिए अलवर में प्रथम वर्ष के लिए संघ शिक्षा वर्ग शुरू हुआ है।


बीकानेर संघ शिक्षा वर्ग के उद्घाटन कार्यक्रम में मुख्य अतिथि संत वसुंधरा नंद महाराज सेवानंद आश्रम बीकानेर, क्षेत्र प्रचारक निंबाराम और वर्ग सर्वाधिकारी टेकचंद उपस्थित थे।


इस अवसर पर क्षेत्र प्रचारक निंबाराम ने शिक्षार्थियों को संबोधित करते हुए कहा कि संघ के शिक्षा वर्ग में हम अपने आपको तैयार करने के लिए आए हैं। उन्होंने शिक्षार्थियों को एक श्रेष्ठ कार्यकर्ता बनकर अधिक समय लगाकर कार्य करने व सेवा भाव का जागरण करते हुए संघ शताब्दी वर्ष में समय देने के लिए प्रेरित किया। उन्होंने कहा कि अनुशासन ही हमारी पहचान है, इसको ध्यान में रखते हुए हम गति बढ़ाएं।


वसुंधरा नंद महाराज ने कहा विद्यार्थीयों पर नजर रखते हुए और तेज गति से कार्य करने की आवश्यकता है।
उल्लेखनीय है कि संघ शिक्षा वर्गों में शिक्षार्थियों में बौद्धिक एवं शारीरिक कार्यक्रमों के योग्य संचालन के लिए कठिन प्रशिक्षण दिया जाता है। स्वंयसेवकों में क्षमता, विकास, संघ कार्यों के प्रति अपनत्व, भारतीय विचार की स्पष्टता और संघ कार्य में आने वाली जिज्ञासाओं के समाधान में संघ शिक्षा वर्गों की भूमिका महत्वपूर्ण होती है। संघ के प्रशिक्षण वर्गों  में शिक्षार्थी दवारा भीषण गर्मी में घर की सुख-सुविधाओं से दूर कठिन प्रशिक्षण प्राप्त करना एक प्रकार की साधना है। संघ शिक्षा वर्ग सही मायनों में अनुशासन की पाठशाला है।


बीस दिवसीय इस प्रशिक्षण से अनुशासन, आज्ञा पालन, समय का पालन, जैसे गुणों का विकास कर एक अच्छे कार्यकर्ता का निर्माण होता है। वर्ग प्रशिक्षण से संपूर्ण क्षमताओं शारीरिक, बौद्धिक, मानसिक, व्यावहारिक क्षमता का विकास होता है। प्रशिक्षण शिविर में शिक्षार्थी सुबह चार बजे से रात 10.30 बजे तक की व्यस्त दिनचर्या में शारीरिक, बौद्धिक, सेवा कार्य आदि की जानकारी प्राप्त करते हैं।

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